यदि ‘दुकान अपनी है’ तो ‘अपनों’ का ख्याल भी रखा जाना चाहिए

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कड़े विरोध के बाद #BoycottAmazon कैंपेन परिणामस्वरुप अमेज़न को श्रीगणेश और माँ लक्ष्मी के तस्वीरों वाले डोरमैट्स वापस लेने पड़े हैं. 

ई-कॉमर्स की कम्पनियों द्वारा आये दिन ऐसे उत्पाद उत्पाद बेचने की कोशिश की जाती है, जिनसे  किसी धर्म और वर्गविशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचती हो. हिन्दू देवी देवताओं और भारत के राष्ट्रध्वज को अंतर्वस्त्रों, चप्पलों पर दर्शाकर आदि ऐसे उत्पादों को बेचकर ना केवल एक ट्रेंड सेट करने को कोशिश की जाती है बल्कि वाणिज्यिक फायदा लेने की कोशिश की जाती है. 


इसके आलावा भी इन कंपनीज के द्वारा कई अपमानजनक, पब्लिक सेंटिमेंट्स को चोट वाले कमर्शियल एडवरटाईमेंट्स कैंपेन विवादित होते रहे हैं. इससे पहले भी अमेज़न का विवादों से नाता रहा है, फोर्च्यून पत्रिका द्वारा पिछले जनवरी अंक के कवर पर अमेजन के सीईओ जेफ़ बेजोस को भगवान विष्णु के रूप में दर्शाया गया था जिसके जरिये हिन्दू सेंटीमेंट्स भड़क उठे थे. 

अभी हालिया मामला अमेज़न वेबसाईट का है, जहाँ हिन्दू देवी माँ लक्ष्मी और देव श्री गणेश जी के तस्वीर छपे हुए डोरमैट्स ऑनलाइन सेल के जारी हुए थे. इससे लोगों में आक्रोश भड़क उठा और लोगो ने ऑनलाइन और लैटर्स के माध्यम से कम्पनी को अपने उत्पाद को वापस लेने के मांग की गयी. इसकी कड़ी प्रतिकिया के तौर पर सोशल मीडिया में #BoycottAmazon भी ट्रेंड हुआ. आखिर में भारी विरोध के बाद अमेज़न को ये प्रोडक्ट्स वापस लेने पड़े और कंपनी की ओर से माफ़ी के लिए वक्तव्य जारी करना पड़ा कि हम अनजाने में आपकी भावनाओं को ठेस पहुँचने के लिए माफ़ी मांगते हैं. हमने इस विषय को सम्बंधित टीम को इस पर कार्यवाही करने लिए भेज दिया है. हम आपके कदम की तारीफ करते हैं.

अपने उत्पादों को बनाने और बेचने में गुणवत्ता रखने व उपभोक्ता के अधिकारों का संरक्षण करने का दावा करने वाली इन ऑनलाइन ई-कॉमर्स कंपनीज द्वारा ऐसी चूक होना बिलकुल भी व्यावहारिक नहीं है. ई-कॉमर्स क्षेत्र में आयी कंपनीज की इस बाढ के मद्देनजर पहले भी फ्लिपकार्ट, आस्कमीबाज़ारडॉटकॉम द्वारा भी ऐसे कई विवादित उत्पाद बेच जाने का मामले आते रहे हैं. हालाँकि इन मामलों का निपटारा अदालती कार्यवाही से भी निपटा जा सकता है लेकिन यह एक थोड़ी लम्बी प्रक्रिया है और संभव है कि इसके बावजूद भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उत्पादनकर्त्ता के अधिकारों के चलते निराकरण ना हो पाए –

तो कैसे निबटें ऐसे मुद्दों से ? –

ई-कॉमर्स कम्पनीज अपने प्रोडक्ट्स और एप्पस के रेटिंग्स और रिव्यूज के लिए बहुत अधिक निर्भर रहती है. ऐसे में बड़े स्तर नकारात्मक प्रतिक्रिया देना एक प्रभावी, सरल और जल्द उपाय हो सकता है.

ई-कॉमर्स कम्पनीज द्वारा अपनी लागत का एक बड़ा हिस्सा अपने उत्पादों को ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए लॉजिस्टिक और कोरियर पर खर्च करना होता है. ऐसे में एक बड़े स्तर पर ऐसे उत्पादों को ‘कॅश ऑन डिलिवरी’ आप्शन से बल्क में ऑर्डर किया जाये और जब कंपनी का प्रतिनिधि आपको प्रोडक्ट देने के लिए आये तो प्रोडक्ट डिलिवरी रिजेक्शन का विकल्प चुनते हुए प्रोडक्ट लेने से इंकार कर दें और वहिष्कार के रूप में अपना शिकायत-पत्र थमा दें. एक बड़े स्तर पर यदि ऐसा किया जाये तो कंपनी को अपनी लॉजिस्टिक कीमत को मजबूरन वहन करना पड़ेगा. यदि कोई ग्रोइंग स्टार्टअप कंपनी का प्रोडक्ट है तो कंपनी को इससे माकूल सबक मिलेगा.  

ई-कॉमर्स के क्षेत्र में बाहरी कम्पनीज और नए-नए स्टार्ट-अप्स आने से इस व्यवसाय में हो रहे इजाफे के चलते अलग तरीके के विवाद और जालसाजी-स्कैम पनपने की भरपूर आशंका है और इनके लिए पोलिसीज और रेग्युलेशन में अभी देर है. ऐसे में यदि कम्पनीज द्वारा ‘अपनी दुकान’ होने का दावा किया जाता है तो अपनों का ख्याल रखना भी जरूरी है.   

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